बस्तर में ग्राम सभा सशक्तिकरण की प्रक्रिया डॉक्यूमेंट्री स्क्रीनिंग के माध्यम से प्रारंभ की गई


 

आईएनसी 24 मीडिया छत्तीसगढ़। बस्तर, दरभा तहसील रिपोटर - भगत बघेल की रिपोर्ट : -


बस्तर। दरभा ब्लॉक के कोंडलुर गांव में सामुदायिक वन संसाधन के प्रबंधन के कुछ उदाहरणों को वीडियो के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। इनमें मुख्य रूप से महाराष्ट्र के मेढ़ा लेखा, पांचगांव और पायविर जैसे सामुदायिक वन संसाधनों के उत्कृष्ट उदाहरण शामिल हैं। इस वीडियो स्क्रीनिंग का उद्देश्य यह है कि गांव के लोग इन उदाहरणों को देखकर अपने जंगलों के प्रबंधन और आजीविका विकास के बारे में समझ विकसित कर सकें।


राज्य में ऐसे कई गांव हैं जिन्हें सामुदायिक वन संसाधन (CFR) के अधिकार प्राप्त हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा हैं इसके पीछे बहुत से कारण हैं, हालांकि इन अधिकारों का सही उपयोग तभी संभव है जब उन्हें सामाजिक बदलाव और न्याय के उद्देश्य से सही ढंग से लागू किया जाए। इस विषय पर फिलहाल बहुत कम चर्चा हो रही है, और संभावित विकल्पों पर शोध और अध्ययन भी सीमित हैं। कोंडलुर गांव ने अपने प्रयासों से लगभग 2500 हेक्टेयर जंगल पर अधिकार प्राप्त किया है। अब उनके सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि वे इन संसाधनों का प्रबंधन करते हुए किस प्रकार से आजीविका विकास करें, जिसमें लोकतंत्र, स्वशासन, न्याय, सतत विकास और लैंगिक समानता के तत्व शामिल हों।


इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का उद्देश्य यह भी है कि भविष्य में युवाओं के बड़े पैमाने पर हो रहे प्रवास (migration) को रोकने के लिए एक ठोस विकल्प उपलब्ध हो सके। ग्रामीणों की सक्रियता और उनकी ऊर्जा से यह उम्मीद जगी है कि कोंडलुर भविष्य में अपने संसाधनों के बेहतर प्रबंधन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है।इस विडियो स्क्रीनिंग के दौरान अनुभव शोरी (वन अधिकार कानून व पेसा कानुन के जानकर) सन्तु मौर्य जिला अध्यक्ष युवा प्रभाग सर्व आदिवासी समाज जिला बस्तर व ग्रामीण उपस्थित थे।



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