आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने पीएम और सीएम से लगाई न्याय की गुहार


 

आईएनसी 24 मीडिया छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ राज्य संवाददाता - गुलजार सिंह लहरें की रिपोर्ट : -


छत्तीसगढ़। महासमुंद, छत्तीसगढ़ की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं द्वारा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को लिखा गया एक निवेदन है। इस पत्र में उनकी लंबे समय से चली आ रही शिकायतों और बेहतर कार्य स्थितियों तथा कर्मचारियों के रूप में मान्यता की माँगों का विवरण दिया गया है।


पत्र के मुख्य बिंदु - दीर्घकालिक सेवा और मान्यता का अभाव: पत्र में कहा गया है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएँ 2 अक्टूबर, 1975 को आईसीडीएस की स्थापना के बाद से लगभग 50 वर्षों से आंगनवाड़ी केंद्रों में सेवा दे रही हैं, लेकिन उन्हें अभी तक न तो कर्मचारी का दर्जा मिला है और न ही श्रमिक का अल्प पारिश्रमिक और लाभों का अभाव: वे प्राप्त होने वाले कम मानदेय (कार्यकर्ताओं के लिए ₹4500 और सहायिकाओं के लिए ₹2500) पर प्रकाश डालते हैं जो न्यूनतम वेतन से काफी कम है, जिससे आजीविका चलाना मुश्किल हो जाता है। वे महंगाई भत्ता, पेंशन, ग्रेच्युटी, समूह बीमा, चिकित्सा प्रतिपूर्ति और पदोन्नति के अवसरों जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव पर भी शोक व्यक्त करते हैं।


ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ना - पत्र में इस बात पर निराशा व्यक्त की गई है कि जब वे अपनी माँगें उठाते हैं, तो केंद्र सरकार राज्य को दोषी ठहराती है, और राज्य सरकार केंद्र को दोषी ठहराकर प्रभावी रूप से ज़िम्मेदारी से बचती है।


सहानुभूतिपूर्ण विचार की अपील - वे केंद्र और राज्य दोनों की वर्तमान सरकारों में आशा व्यक्त करते हैं और अपनी समस्याओं, विशेष रूप से "नारी शक्ति" की दुर्दशा और भावनाओं के संबंध में, सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का अनुरोध करते हैं।


विशिष्ट माँग - दृश्यमान पाठ के अंत में उल्लिखित प्रमुख माँगों में से एक आंगनवाड़ी केंद्रों में पंचायत स्तर तक शिक्षा को शामिल करने से संबंधित है। यह पत्र पूरे भारत में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के बेहतर वेतन, लाभ और सरकारी कर्मचारियों के रूप में मान्यता के लिए चल रहे संघर्ष को दर्शाता है, एक भावना जिसे विभिन्न रिपोर्टों और समाचार लेखों में व्यापक रूप से प्रलेखित किया गया है।


भारत में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की प्रमुख माँगों को रेखांकित करने वाला एक दस्तावेज़ दिखाया गया है। ये माँगें उनकी स्थिति, पारिश्रमिक और कार्य स्थितियों में सुधार पर केंद्रित हैं, जिनमें शामिल हैं।


सरकारी कर्मचारी का दर्जा - मुख्य माँग यह है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए, जिसमें कार्यकर्ताओं को तृतीय श्रेणी और सहायिकाओं को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में वर्गीकृत किया जाए।


बढ़ी हुई और मानकीकृत मज़दूरी - वे सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिलने तक कार्यकर्ताओं के लिए ₹26,000 और सहायिकाओं के लिए ₹22,100 का राष्ट्रव्यापी एक समान मासिक वेतन चाहते हैं, इस बात पर ज़ोर देते हुए कि उनका वर्तमान पारिश्रमिक बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है।


सामाजिक सुरक्षा लाभ - माँगों में पेंशन, ग्रेच्युटी, समूह बीमा और सेवानिवृत्ति पर कैशलेस चिकित्सा सुविधाओं जैसे व्यापक सामाजिक सुरक्षा उपाय शामिल हैं। प्रोन्नति के अवसर, दस्तावेज़ में सहायिकाओं को कार्यकर्ता पदों पर और कार्यकर्ताओं को पर्यवेक्षक पदों पर सीधे पदोन्नति देने का आह्वान किया गया है।


डिजिटलीकरण चुनौतियों का समाधान - उपस्थिति और टीएचआर वितरण (पोषण ट्रैकर) के लिए चेहरा कैप्चर जैसे डिजिटल प्लेटफार्मों के साथ आने वाली कठिनाइयों के बारे में चिंताएं व्यक्त की गई हैं, लाभार्थियों और श्रमिकों/सहायकों दोनों के सामने आने वाली व्यावहारिक समस्याओं और कठिनाइयों को कम करने के लिए ऑफ़लाइन तरीकों पर लौटने का अनुरोध किया गया है।


छत्तीसगढ़ सक्षम आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका कल्याण संघ महासमुंद, प्रदेश अध्यक्ष सुधा रात्रे, जिला अध्यक्ष सुलेखा शर्मा, ब्लॉक अध्यक्ष हाजरा निशा खान, ब्लॉक उपाध्यक्ष श्रीमती छाया हिरवानी और उनके झलप सेक्टर 2 की कार्यकर्ताओं बहने संजू दुबे, ग्वालिन बघेल, विद्या तारक, माधुरी परीक्षा, खुशबू रतिया, सौम्या टंडन, कृष्ण अवाड़े, कृष्ण दास, बिमला पटेल, सुमित्रा भानमति, गंगा और झलप सेक्टर 2 की सभी कार्यकर्ता सहायिका बहने उपस्थित थे।




एक टिप्पणी भेजें

Please Do Not Enter Any Spam Link In The Comment Box.

और नया पुराने