छत्तीसगढ़ ब्रेकिंग न्यूज़ - मकाल स्मृति दिवस पखवाड़ा-114 वां वर्षगांट का समापन


बस्तर। भुमकाल स्मृति दिवस पखवाड़ा-114वां वर्षगांट का समापन नेतानार(चायकुर) मे भुमकाल मंडई समपन्न हुआ, प्रति वर्ष भुमकाल पखवाड़ा 4फरवरी से शुरू हो कर 22फरवरी को समापन होता है। 


1910  का भुमकाल क्रांति आंदोलन दुनिया के सबसे अहम आदिवासी आन्दोलनों मे प्रमुख है।जल-जगंल-जमीन-पारंपरिक व्यवस्था, सांस्कृतिक विरासत को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ा गया था। 


वर्तमान में जल जंगल जमीन और पारपंरिक व्यवस्था को संजोए रखने के लिए भुमकाल स्मृति पखवाड़ा का आयोजन किया जाता है। भुमकाल पखवाड़ा का स्वागत उद्धबोधन धुरवा समाज के जिला अध्यक्ष संतोष बघेल जी के द्वारा किया गया ।


सर्व आदिवासी समाज के युवा प्रभाग अध्यक्ष सन्तु मौर्य ने कहा आज भुमकाल का समापन समारोह नहीं आज भुमकाल का प्रारंभ दिन है आज से हमें जल,जंगल, जमीन आदिवासी संस्कृति के सुरक्षा के लिए शपथ लेने का दिन है,संपूर्ण बस्तर क्षेत्र में 5वीं अनुसूचित क्षेत्र  है पेशा अधिनियम लागू है, वनाधिकार कानून लागू है, फिर भी बस्तर के मुल निवासियों के साथ  लगातार अत्याचार हो रहा है। 


इन अधिकारों के संरक्षण के लिए हम सभी को एक साथ संगठित होकर संघर्ष अधिकारों के लिए करना पड़ेगा जिन ग्रामों को वन अधिकार कानून की मान्यता प्राप्त हुई है उन क्षेत्र में नियम पारंपरिक व्यवस्था के अनुसार बनाना होगा इस अवसर पर कांकेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के संचालक घर विरुद्ध तहसील सैनी जी गांड वीर दमशील सैनी जी ने कांकेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में किए जाने जनजातियों के में से एक धुरवा जनजाति के कला संस्कृति को संरक्षण के लिए अनेक कार्य किए जा रहे हैं।


संभागीय उपाध्यक्ष श्रीमती कल्पना नाग ने जनजाति समुदाय के द्वारा उपयोग किए जाने वाला तुमा के संबंध में रखा गया जिसमें वर्तमान पीढ़ी को प्लास्टिक से बनी पदार्थ से दूर रहकर प्राकृतिक संसाधनों को बढ़ावा दानी खेल संबंध में बात रख सर्वाधिक समाज के जिला अध्यक्ष गंगाराम नाथ जी ने वर्तमान पीढ़ी को भूखल की भांति जल जंगल जमीन सहित संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए आगे आना होगा।


तथा बैलाडीला स्थित लोक दोनों के निजीकरण तथा बस्तर जिला में स्थित नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के विरोध में भी बात रख निजीकरण से होने वाले समस्याओं पर भी अपनी बात रखी संभागीय ध्रुव समाज के अध्यक्ष पप्पू नाग जी ने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के साथ-साथ भूमकाल  आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए बात रखा है।


बस्तर संभाग के जनजातियों के समाजिक तानाबाना पुस्तकों को हर जनजाति समुदाय के लोगों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। इस भुमकाल समापन के अवसर में वीर गुंडाधूर के वंशज जयदेव नाग जी,शहीद डेबरी धुर के वंशज देऊ नाग, शहीद हरचंद नाईक के वंशज बाखड़ा, संभागीय संरक्षक धुरवा समाज नीलम नाग।


सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष गंगा नाग युवा अध्यक्ष सन्तु मौर्य, धुरवा समाज  बस्तर जिला के अध्यक्ष सन्तोष बघेल जी,कांगेर घाटी राष्ट्रीय उधान के संचालक सहित सुकमा, बस्तर, दन्तेवाड़ा के सामाजिक कार्यकर्ता और हजारों जन समुदाय उपस्थित रहे।



● आईएनसी 24 मीडिया के लिए जिला बस्तर दर्भा तहसील संवाददाता भगत बघेल की रिपोर्ट ●



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