छत्तीसगढ़ ब्रेकिंग न्यूज़ - बिजली विभाग की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे ग्रामवासी, डेढ़ महीने से गायब है तीसरा फेस नहीं चल रहा मोटर पम्प पानी टंकी नाम का बिन सप्लाई किस काम का गाँव में घर-घर है दिखावे का नल मगर पीते हैं कुएँ का बरसाती जल


आईएनसी 24 मीडिया छत्तीसगढ़। रायगढ़ रिपोर्टर - बिरेंद्र कुमार साहू की रिपोर्ट : -


रायगढ़। तमनार हमीरपुर शुद्ध पेयजल हर नागरिक का अधिकार है और सरकार पेयजल की उपलब्धता के लिए घर-घर नल-जल योजना चला रही है। पीने के पानी के लिए करोड़ों रूपये खर्च किये जा रहे हैं लेकिन, इसे एक विडंबना ही कहेंगे कि एक ऐसा भी गाँव है जहाँ पानी, टंकी और बोरपम्प होते हुए भी ग्रामवासी शुद्ध पीने के पानी को मोहताज हैं। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं लैलूंगा विधानसभा के तमनार विकासखंड अंतर्गत आने-वाले ग्राम हमीरपुर की जहाँ 1800 की जनसंख्या आबाद है।


उल्लेखनीय है कि यहाँ एक बड़ा भारी पानी टंकी और बोरपम्प स्थित है किन्तु बीते डेढ़ माह से बोरपम्प बन्द होने की वजह से ग्रामवासियों को पीने के पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। मजबूरी में गांव के पुराने कुएँ से पानी का निस्तार कर रहे हैं। इस विकट समस्या से पंचायत के सचिव सरपंच को महिलाओं द्वारा बार-बार सूचना देने बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बिजली की तीनों फेस नहीं होने का बहाना लेकर निष्क्रिय बैठे हैं।


बिजली पहले महलोई तमनार क्षेत्र से सप्लाई होती थी जो अब धौरा भांठा साईड से हमीरपुर को लाइट दिया जा रहा है। ग्राम वासियों की मानें तो पी.एच.ई. विभाग द्वारा आज तक गांवों की पेय जल की समस्या का निदान नहीं किया गया। जनपद के प्रभारी अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे उदासीन रवैया अपनाये हुए हैं। 400 परिवारों के इस गाँव के लोगों का कहना है कि रायगढ़ शहर के कोई वार्ड या मोहल्ले में एक घंटा भी सप्लाई बन्द होने पर मंत्री, नेता व अधिकारी के फोन से सम्बंधित विभाग को सवाल-जवाब किया जाता है जो न्यूज चैनलों और समाचार पत्र-पत्रिकाओं में प्रमुखता से हेडलाइंस बन जाते हैं लेकिन गांवों की गंभीर समस्याओं की सुध लेने वाला कोई नहीं होता।


पहले शासन के लोक सुराज अभियान में शिकायत के डर से सभी शासकीय विभाग ठीक ढंग से काम करते थे और हमारी समस्याओं का तत्काल निवारण होता था मगर, अब ऐसा नहीं हो रहा है। हकीकत की तहकीकात में तह तक जाकर देखें तो शहर की अपेक्षा गाँव में रहने वाली जनता वास्तव में उपेक्षा की शिकार है। गाँव के मूलभूत सुविधाओं का विकास केवल कागजों और दीवारों पर लिखे खूबसूरत नारों पर ही दिखाई देता है धरातल पर नहीं।


सरकार जनहित की बातों को लेकर ऐसे कई जन-कल्याणकारी योजनाएं लागू करती है और आम जन मानस के समस्याओं के निवारण करने शिविर और जन-चौपाल जैसे कार्यक्रम चला रही है लेकिन, इसका पर्याप्त लाभ भ्रष्टाचारी अफसरों और नेताओं की लापरवाही से आम जनता तक नहीं पहुँच पाती।

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