हलषष्ठी पर्व अंचल सहित नगर में धूमधाम से मनाया गया, सुहागिन महिलाये उपवास रखकर संतान सुख प्राप्ति के लिए रखा ब्रत


आईएनसी 24 मीडिया कांकेर। नरहरपुर कांकेर रिपोर्टर - मन्नूराम साहू की रिपोर्ट : -


कांकेर। हिन्दू धर्म में प्रत्येक त्यौहार बड़ी ही श्रद्धा भाव से पुरे रीती रिवाज़ के साथ मनाया जाता हैं, ऐसे ही व्रत त्योहारों में से एक हैं, हलषष्ठी का त्यौहार यह त्यौहार श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता हैं। वही शनिवार को अंचल के साथ नगर में हलषष्ठी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया सुहागिन महिलाये ने संतान सुख प्राप्ति के लिए हलषष्ठी पर्व पर व्रत रख कर विधि विधान से पूजा अर्चना किया।


पूजा अर्चना के बाद हलषष्ठी पर्व से संबधित कथा कही व सुनी गई। इस हलषष्ठी व्रत में किसी देव प्रतिमा की पूजा नहीं की जाती इस लिए महिलाये सुबह से ही सामूहिक रूप से घर के आँगन में एक गड्डा खोड़कर तालाब (सगरी) बनाया इसमें झरबेरी, कांसी और पलास बृक्षों की एक टहनी खड़ी कर बांधी तथा आठ दस दिन पहले बोई गई कजरी तथा सूत की पिंडी रखकर पूजा की गई। भैंस की घी से दीपक जलायी गई तथा हवन में भी भैंस घी का उपयोग किया गया।


मान्यता हैं की भद्रपक्ष मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी के दिन भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। बलराम का प्रधान अस्त्र हल हैं, इसलिए इसे हलधर भी कहा जाता हैं, यही कारण हैं कि इस दिन को हलछट भी कहा जाता हैं हलषष्ठी करने वाली महिलाये व्रत के दिन हल जोत कर उत्पन्न की जाने वाली किसी भी वस्तु का प्रयोग नहीं करती हैं। स्वयं प्राकृतिक रूप से उतपन्न होने वाली अनाज व छै प्रकार सब्जियों से बनी भोज्य पदार्थ का ही सेवन कर व्रत तोड़ी जाती हैं।


पंडित डॉo लक्ष्मण शुक्ला व पंडित दिलीप मिश्रा ने बताया कि इस दिन भगवान शिव पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी आदि का पूजा का विशेष महत्व होता हैं विधि पूर्वक हलषष्ठी पूजन करने से संतान सुख की प्राप्ति होती हैं।






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