गुरु पूर्णिमा, गुरु और शिष्य का पावन पर्व जिसमें गुरु शिष्य के अहंकार एवं अज्ञानता को दूर कर ईश्वर तक पहुंचा दे वह आत्मिक संबंध है



आईएनसी 24 मीडिया छत्तीसगढ़। तिल्दा नेवरा संवाददाता - ललित कुमार अग्रवाल की रिपोर्ट : -

छत्तीसगढ़। तिल्दा नेवरा, गुरु पूर्णिमा गुरु और शिष्य का पावन पर्व गुरु उसे कहते हैं, जो अपने शिष्य की गरुता अर्थात अज्ञानता को हर ले, जो अपने शिष्य के अज्ञान के अज्ञान को हर कर उसके जीवन को आनंददायक बनाकर अंत में मोक्ष की प्राप्ति करा दे वो सत्गुरु और जो केवल अपने शिष्यों के धन का हरण करें वो गुरु नहीं गुरु घंटाल होता है, जो आज के समय में अधिक पाये जातें हैं।

इसलिए गुरु किसी कुलीन सत्कर्मी और भगवत भक ब्राह्मण को गुरु बनाना चाहिए जो आप को धीरे धीरे जीवन के अंत तक अर्थ धर्म काम और मोक्ष की प्राप्ति करा कर परमात्मा तक ले जाये और सच्चा शिष्य भी वही है, जो गुरु से निजी स्वार्थ के लिए न जुड़े उनसे चमत्कार की उम्मीद न रखें क्योंकि ज्ञान कभी चमत्कार नहीं दिखाता वह अंतिम सत्य परमात्मा तक पहुंचाता है। क्योंकि परमात्मा की कृपा और उनकी प्राप्ति ही ज्ञान का परम उद्देश्य है

आज के दिन संसार को अपने ज्ञान से प्रकाशित करने वाले वेदव्यास महाराज का जन्म हुआ जिन्होंने समाज के कल्याण के लिए चारों वेद और अठारह पुराणों की रचना किये, और जन्म, कर्म तथा मृत्यु के रहस्य को बताया और हां गुरु जीवन में एक ही होता है, और एक ही बार बनाया जाता है, जिसे दीक्षा गुरु कहते हैं, और संसार में जंहा जंहा से जिस जिस से शिक्षा मिले वह सब शिक्षा गुरु है।

शिक्षा गुरु माता पिता बड़े जन स्कूल विद्यालय में ज्ञान देने वाले सभी शिक्षा गुरु है, अर्थात शिक्षा गुरु अनेकों लेकिन दीक्षा गुरु एक ही होता है, अगर सच्चे मन से गुरु के दिये ज्ञान और मंत्र को जपा जाय तो निश्चित रूप से संसार की सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है इसके लिए आपको कंही भी दुसरे जगह भटकने की आवश्यकता नहीं है।





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